जिसे तुम परोसती हो सदा नेह में जिसे हम देखें नहीं तनिक संदेह में I जिसे तुम परोसती हो सदा नेह में जिसे हम देखें नहीं तनिक संदेह में I
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
उस का निवास जैसे दिल का जादुई चिराग़ मन में प्रज्वलित होती है मिलन की शीतल आग उस का निवास जैसे दिल का जादुई चिराग़ मन में प्रज्वलित होती है मिलन की शीतल आग
उसने कहा - तुम्हारी उदासी मुझे नहीं आने देती बाहर तुम मुस्कराऊं तो मैं आती हूँ बाहर जिसे तुमने ढ... उसने कहा - तुम्हारी उदासी मुझे नहीं आने देती बाहर तुम मुस्कराऊं तो मैं आती हू...
कली से जो फूल बन जाए, रात में मुरझाकर, सुबह फिर से खिल जाए, हमें बहुत कुछ सिखा जाए, कली से जो फूल बन जाए, रात में मुरझाकर, सुबह फिर से खिल जाए, हमें बहुत कुछ सिख...